श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 15: भगवान् कृष्ण द्वारा योग-सिद्धियों का वर्णन  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  11.15.2 
 
 
श्रीउद्धव उवाच
कया धारणया कास्वित् कथं वा सिद्धिरच्युत ।
कति वा सिद्धयो ब्रूहि योगिनां सिद्धिदो भवान् ॥ २ ॥
 
अनुवाद
 
  श्री उद्धव ने कहा: हे अच्युत, योग-सिद्धि किस विधि से प्राप्त की जा सकती है और ऐसी सिद्धि का स्वभाव क्या है? योग-सिद्धियाँ कितनी हैं? कृपा करके ये बातें मुझसे बतलाइये। निश्चय ही, आप समस्त योग-सिद्धियों के प्रदाता हैं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.