श्रीउद्धव उवाच
कया धारणया कास्वित् कथं वा सिद्धिरच्युत ।
कति वा सिद्धयो ब्रूहि योगिनां सिद्धिदो भवान् ॥ २ ॥
अनुवाद
श्री उद्धव ने कहा: हे अच्युत, योग-सिद्धि किस विधि से प्राप्त की जा सकती है और ऐसी सिद्धि का स्वभाव क्या है? योग-सिद्धियाँ कितनी हैं? कृपा करके ये बातें मुझसे बतलाइये। निश्चय ही, आप समस्त योग-सिद्धियों के प्रदाता हैं।