श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 15: भगवान् कृष्ण द्वारा योग-सिद्धियों का वर्णन  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  11.15.1 
 
 
श्रीभगवानुवाच
जितेन्द्रियस्य युक्तस्य जितश्वासस्य योगिन: ।
मयि धारयतश्चेत उपतिष्ठन्ति सिद्धय: ॥ १ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान ने कहा: हे उद्धव! योग की सिद्धियाँ उसी योगी द्वारा प्राप्त की जाती हैं, जिसने अपनी इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर ली हो, अपने मन को स्थिर कर लिया हो, श्वास-प्रश्वास की क्रिया को वश में कर लिया हो और अपने मन को मुझमें स्थिर कर लिया हो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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