श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 14: भगवान् कृष्ण द्वारा उद्धव से योग-वर्णन  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  11.14.31 
 
 
श्रीउद्धव उवाच
यथा त्वामरविन्दाक्ष याद‍ृशं वा यदात्मकम् ।
ध्यायेन्मुमुक्षुरेतन्मे ध्यानं त्वं वक्तुमर्हसि ॥ ३१ ॥
 
अनुवाद
 
  श्री उद्धव ने कहा: हे कमलनयन कृष्ण, जो मुक्ति प्राप्त करना चाहता है, वह किस विधि से ध्यान कर सकता है? उसका ध्यान कैसे हो और वह किस रूप का ध्यान करे? कृपया मुझे ध्यान के इस विषय पर विस्तार से बताएँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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