श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 13: हंसावतार द्वारा ब्रह्मा-पुत्रों के प्रश्नों के उत्तर  »  श्लोक 40
 
 
श्लोक  11.13.40 
 
 
मां भजन्ति गुणा: सर्वे निर्गुणं निरपेक्षकम् ।
सुहृदं प्रियमात्मानं साम्यासङ्गादयोऽगुणा: ॥ ४० ॥
 
अनुवाद
 
  प्रकृति के गुणों से परे, विरक्ति, शुभचिंतक, सबसे प्रिय, परमात्मा, हर जगह समान रूप से स्थित, और भौतिक उलझनों से मुक्त - भौतिक गुणों के परिवर्तनों से मुक्त ये सभी उत्तम दिव्य गुण मुझमें शरण और पूजा की वस्तु पाते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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