मनसा वचसा दृष्ट्या गृह्यतेऽन्यैरपीन्द्रियै: ।
अहमेव न मत्तोऽन्यदिति बुध्यध्वमञ्जसा ॥ २४ ॥
अनुवाद
इस संसार में, मन, वाणी, आँखों या बाकी इंद्रियों से जो कुछ भी अनुभव किया जाता है, वह अकेला मैं ही हूँ, मेरे अलावा कुछ और नहीं है। तुम सब इन्हें तथ्यों के सीधे विश्लेषण से समझ लो।