मनुष्य को सावधान और गंभीर रहना चाहिए, और उसे कभी भी आलसी या खिन्न नहीं होना चाहिए। श्वास और आसन की योग प्रक्रियाओं में दक्षता हासिल करके, व्यक्ति को अपना मन सुबह, दोपहर और शाम के समय मुझ पर केंद्रित करना चाहिए, और इस तरह धीरे-धीरे मन को पूरी तरह से मुझमें लीन कर लेना चाहिए।