श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 12: वैराग्य तथा ज्ञान से आगे  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  11.12.7 
 
 
ते नाधीतश्रुतिगणा नोपासितमहत्तमा: ।
अव्रतातप्ततपस: मत्सङ्गान्मामुपागता: ॥ ७ ॥
 
अनुवाद
 
  मैंने जिन व्यक्तियों का नाम लिया है, उन्होंने वैदिक शास्त्रों का गहन अध्ययन नहीं किया, न ही महान संतों की आराधना की, न ही कठिन व्रत या तपस्या की। केवल मेरे और मेरे भक्तों की संगति से, उन्होंने मुझे प्राप्त किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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