श्रीभगवानुवाच
मयोदितेष्ववहित: स्वधर्मेषु मदाश्रय: ।
वर्णाश्रमकुलाचारमकामात्मा समाचरेत् ॥ १ ॥
अनुवाद
भगवान ने कहा कि मेरी शरण पूर्णतः ग्रहण करो, केवल मेरी भक्ति में अपने मन को सावधानीपूर्वक लीन रखकर मेरे द्वारा बताए अनुसार बिना किसी निजी इच्छा के व्यक्ति को जीना चाहिए और वर्णाश्रम प्रणाली का पालन करना चाहिए।