श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 10: सकाम कर्म की प्रकृति  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  11.10.1 
 
 
श्रीभगवानुवाच
मयोदितेष्ववहित: स्वधर्मेषु मदाश्रय: ।
वर्णाश्रमकुलाचारमकामात्मा समाचरेत् ॥ १ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान ने कहा कि मेरी शरण पूर्णतः ग्रहण करो, केवल मेरी भक्ति में अपने मन को सावधानीपूर्वक लीन रखकर मेरे द्वारा बताए अनुसार बिना किसी निजी इच्छा के व्यक्ति को जीना चाहिए और वर्णाश्रम प्रणाली का पालन करना चाहिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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