श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 1: यदुवंश को शाप  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  11.1.17 
 
 
तच्छ्रुत्वा तेऽतिसन्त्रस्ता विमुच्य सहसोदरम् ।
साम्बस्य दद‍ृशुस्तस्मिन् मुषलं खल्वयस्मयम् ॥ १७ ॥
 
अनुवाद
 
  ऋषियों के श्राप को सुनकर घबराए हुए लड़कों ने तुरंत सांब के पेट से कपड़ा हटा दिया और वाकई उन्होंने देखा कि उसके अंदर एक लोहे का मूसल था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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