श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 9: माता यशोदा द्वारा कृष्ण का बाँधा जाना  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  10.9.5 
 
 
तमङ्कमारूढमपाययत् स्तनं
स्‍नेहस्‍नुतं सस्मितमीक्षती मुखम् ।
अतृप्तमुत्सृज्य जवेन सा यया-
वुत्सिच्यमाने पयसि त्वधिश्रिते ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  तब माता यशोदा ने कृष्ण को अपने सीने से लगाया, उन्हें अपनी गोद में बैठाया और बड़े स्नेह से भगवान का मुँह देखने लगीं। अगाध स्नेह के कारण उनके स्तन से दूध बह रहा था। परंतु जब उन्होंने देखा कि आँच पर चढ़ी कड़ाही से दूध उबलकर गिर रहा है, तब वे बच्चे को दूध पिलाना छोड़कर उफनते दूध को बचाने के लिए तुरंत चली गईं, हालाँकि बच्चा अपनी माता के स्तनों से दूध पीकर अभी पूरी तरह तृप्त नहीं हुआ था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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