श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 86: अर्जुन द्वारा सुभद्रा-हरण तथा कृष्ण द्वारा अपने भक्तों को आशीर्वाद दिया जाना  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  10.86.5 
 
 
एकदा गृहमानीय आतिथ्येन निमन्‍त्र्य तम् ।
श्रद्धयोपहृतं भैक्ष्यं बलेन बुभुजे किल ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  एक दिन बलराम जी ने अर्जुन को अपने घर आमंत्रित अतिथि के रूप में बुलाया और अर्जुन ने बलराम जी ने आदरपूर्वक परोसे गए भोजन को ग्रहण किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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