श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 86: अर्जुन द्वारा सुभद्रा-हरण तथा कृष्ण द्वारा अपने भक्तों को आशीर्वाद दिया जाना  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  10.86.15 
 
 
यात्रामात्रं त्वहरहर्दैवादुपनमत्युत ।
नाधिकं तावता तुष्ट: क्रिया चक्रे यथोचिता: ॥ १५ ॥
 
अनुवाद
 
  विधाता की कृपा से, उसे रोज़ाना उतना ही मिल जाता था जितना उसे अपने जीवनयापन के लिए चाहिए था, उससे ज़्यादा नहीं। इतने से ही संतुष्ट होकर, वह अपने धार्मिक कर्तव्यों का सही ढंग से पालन करता था।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.