जब बलराम जी को सुभद्रा के अपहरण का समाचार मिला तो वे उतने ही विचलित हो उठे जितना कि पूर्णिमा के अवसर पर सागर होता है। किंतु भगवान कृष्ण ने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ आदरपूर्वक उनके चरणों में हाथ लगाए और उनसे पूरी घटना का विवरण कहकर उन्हें शांत किया।