श्री कालिन्दी ने कहा : भगवान को पता था कि एक दिन उनके चरणकमलों को छूने की आशा से मैं कठोर तपस्या और त्याग कर रही हूँ। इसलिए वे अपने मित्र के साथ मेरे पास आये और हम दोनों का विवाह हो गया। अब मैं उनके महल में झाड़ू लगाने वाली दासी के रूप में लगी रहती हूँ।