श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 8: भगवान् कृष्ण द्वारा अपने मुख के भीतर विराट रूप का प्रदर्शन  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  10.8.2 
 
 
तं द‍ृष्ट्वा परमप्रीत: प्रत्युत्थाय कृताञ्जलि: ।
आनर्चाधोक्षजधिया प्रणिपातपुर:सरम् ॥ २ ॥
 
अनुवाद
 
  जब नंद महाराज ने गर्ग मुनि को अपने घर में देखा तो वे अति प्रसन्नता से दोनों हाथों को जोड़कर उनका स्वागत करते हुए खड़े हो गए। हालाँकि नंद महाराज गर्ग मुनि को अपनी आँखों से देख रहे थे, लेकिन वे जानते थे कि गर्ग मुनि कोई साधारण व्यक्ति नहीं हैं, उन्हें वे अधोक्षज के रूप में मानते थे।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.