श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 77: कृष्ण द्वारा शाल्व का वध  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  10.77.2 
 
 
विधमन्तं स्वसैन्यानि द्युमन्तं रुक्‍मिणीसुत: ।
प्रतिहत्य प्रत्यविध्यान्नाराचैरष्टभि: स्मयन् ॥ २ ॥
 
अनुवाद
 
  प्रद्युम्न की अनुपस्थिति में, द्युमान उसकी सेना को नष्ट कर रहा था। अब प्रद्युम्न ने द्युमान पर पलटवार किया और हँसते हुए उसे आठ नाराच बाणों से बेध डाला।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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