श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 72: जरासन्ध असुर का वध  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  10.72.5 
 
 
तद् देवदेव भवतश्चरणारविन्द-
सेवानुभावमिह पश्यतु लोक एष: ।
ये त्वां भजन्ति न भजन्त्युत वोभयेषां
निष्ठां प्रदर्शय विभो कुरुसृञ्जयानाम् ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  अतः हे देवों के देव, इस धरती के लोग देख लें कि आपके चरणकमलों पर की गयी भक्ति कितनी शक्तिशाली है। हे सर्वशक्तिमान, आप उन्हें उन कुरुओं और श्रींजयों की स्थिति दिखाएँ, जो आपकी पूजा करते हैं और उनकी भी स्थिति दिखाएँ जो पूजा नहीं करते।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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