श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 6: पूतना वध  »  श्लोक 41
 
 
श्लोक  10.6.41 
 
 
कटधूमस्य सौरभ्यमवघ्राय व्रजौकस: ।
किमिदं कुत एवेति वदन्तो व्रजमाययु: ॥ ४१ ॥
 
अनुवाद
 
  पूतना के जलते हुए शरीर से निकले धुएँ के सुगंध से दूर-दूर तक व्रजभूमि के निवासी आश्चर्य में थे और पूछ रहे थे कि यह खुशबू कहाँ से आ रही है। इस प्रकार वे उस स्थान की ओर चले गए जहाँ पूतना का शरीर जलाया जा रहा था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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