श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 6: पूतना वध  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  10.6.24 
 
 
इन्द्रियाणि हृषीकेश: प्राणान् नारायणोऽवतु ।
श्वेतद्वीपपतिश्चित्तं मनो योगेश्वरोऽवतु ॥ २४ ॥
 
अनुवाद
 
  हृषीकेश तुम्हारे ज्ञानेंद्रियों की तथा नारायण तुम्हारे प्राणवायु की रक्षा करें। श्वेतद्वीप के स्वामी तुम्हारे अंतर्मन की तथा योगेश्वर तुम्हारे मन की रक्षा करें।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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