बालं च तस्या उरसि क्रीडन्तमकुतोभयम् ।
गोप्यस्तूर्णं समभ्येत्य जगृहुर्जातसम्भ्रमा: ॥ १८ ॥
अनुवाद
बालक कृष्ण निडर होकर पूतना राक्षसी के सीने के ऊपरी भाग पर खेल रहे थे और जब गोपियों ने उनके अद्भुत खेल देखे तो तुरंत आगे बढ़कर बड़े उल्लास से उन्हें उठा लिया।