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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 6: पूतना वध
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श्लोक 11
श्लोक
10.6.11
सा मुञ्च मुञ्चालमिति प्रभाषिणी
निष्पीड्यमानाखिलजीवमर्मणि ।
विवृत्य नेत्रे चरणौ भुजौ मुहु:
प्रस्विन्नगात्रा क्षिपती रुरोद ह ॥ ११ ॥
अनुवाद
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प्रत्येक मर्मस्थल में असह्य दबाव से पूतना चिल्ला उठी, “मुझसे दूर हो जाओ, मुझे छोड़ दो! अब मेरा स्तनपान मत करो।” पसीने से तर, फटी हुई आँखें तथा हाथ और पैर पटकती हुई वह बार बार जोर जोर से चिल्लाने लगी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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