श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 5: नन्द महाराज तथा वसुदेव की भेंट  »  श्लोक 32
 
 
श्लोक  10.5.32 
 
 
श्रीशुक उवाच
इति नन्दादयो गोपा: प्रोक्तास्ते शौरिणा ययु: ।
अनोभिरनडुद्युक्तैस्तमनुज्ञाप्य गोकुलम् ॥ ३२ ॥
 
अनुवाद
 
  शुकदेव गोस्वामी ने कहा: जब वसुदेव ने नन्द महाराज को इस प्रकार सलाह दी तो नन्द महाराज और उनके साथ ग्वाले लोगों ने वसुदेव की आज्ञा ली, अपनी बैलगाड़ियों में बैलों को जोता और उस पर सवार होकर गोकुल के लिए प्रस्थान कर दिया।
 
 
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध दस के अंतर्गत पाँचवाँ अध्याय समाप्त होता है ।
 
 
 
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