श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 5: नन्द महाराज तथा वसुदेव की भेंट  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  10.5.20 
 
 
वसुदेव उपश्रुत्य भ्रातरं नन्दमागतम् ।
ज्ञात्वा दत्तकरं राज्ञे ययौ तदवमोचनम् ॥ २० ॥
 
अनुवाद
 
  जब वसुदेव को पता चला कि उनके अति प्रिय मित्र और भाई नन्द महाराज मथुरा पधारे हैं और उन्होंने कंस को कर भी चुकाया है, तो वे सीधे नन्द महाराज के डेरे में पहुँच गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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