गोपियों के कानो में जगमगाती हुई रत्नजड़ित बालियां थीं और गले में चमकते हुए धातु के लॉकेट लटक रहे थे। उनके हाथ चूड़ियों से सजे हुए थे और उनकी पोशाकों के रंग-बिरंगे थे। उनके बालों में लगे फूल रास्तों पर इस तरह गिर रहे थे जैसे बारिश की फुहारें गिरती हों। इस तरह से महाराजा नंद के घर जाते समय गोपियों के कुंडल, मालाएँ और उनके सुडौल स्तन हिलते हुए अत्यंत मनमोहक दृश्य प्रस्तुत कर रहे थे।