श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 49: अक्रूर का हस्तिनापुर जाना  »  श्लोक 1-2
 
 
श्लोक  10.49.1-2 
 
 
श्रीशुक उवाच
स गत्वा हास्तिनपुरं पौरवेन्द्रयशोऽङ्कितम् ।
ददर्श तत्राम्बिकेयं सभीष्मं विदुरं पृथाम् ॥ १ ॥
सहपुत्रं च बाह्लीकं भारद्वाजं सगौतमम् ।
कर्णं सुयोधनं द्रौणिं पाण्डवान् सुहृदोऽपरान् ॥ २ ॥
 
अनुवाद
 
  शुकदेव गोस्वामी ने कहा : अक्रूर पौरव शासकों की शान से प्रसिद्ध नगर हस्तिनापुर गए। वहाँ उन्होंने धृतराष्ट्र, भीष्म, विदुर और कुन्ती को देखा, साथ ही बाह्लीक और उनके पुत्र सोमदत्त से भी मिले। उन्होंने द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, कर्ण, दुर्योधन, अश्वत्थामा, पाण्डवों और अन्य घनिष्ठ मित्रों से भी भेंट की।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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