स पर्यावर्तमानेन सव्यदक्षिणतोऽच्युत: ।
बभ्राम भ्राम्यमाणेन गोवत्सेनेव बालक: ॥ ९ ॥
अनुवाद
जब भगवान अच्युत ने हाथी की पूँछ पकड़ी तो वह बाएँ और फिर दाएँ घूमने लगा जिससे भगवान विपरीत दिशा में घूमने लगे जैसे कोई बालक किसी बछड़े की पूँछ खींचने पर घूमता है।