श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 43: कृष्ण द्वारा कुवलयापीड हाथी का वध  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  10.43.2 
 
 
रङ्गद्वारं समासाद्य तस्मिन् नागमवस्थितम् ।
अपश्यत्कुवलयापीडं कृष्णोऽम्बष्ठप्रचोदितम् ॥ २ ॥
 
अनुवाद
 
  जब भगवान् कृष्ण अखाड़े में प्रवेश करने जा रहे थे, तो उन्होंने देखा कि कुवलयापीड नाम का हाथी अपने महावत की आज्ञा के अनुसार, उनके रास्ते को रोक रहा था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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