का त्वं वरोर्वेतदु हानुलेपनंकस्याङ्गने वा कथयस्व साधु न: ।
देह्यावयोरङ्गविलेपमुत्तमंश्रेयस्ततस्ते न चिराद् भविष्यति ॥ २ ॥
अनुवाद
[भगवान कृष्ण ने कहा]: हे सुंदर जांघों वाली, आप कौन हो? ओह, लेप! हे सुंदरी, यह किसके लिए है? हमें सच सच बता दो। हम दोनों को अपना कोई अच्छा लेप दो तो तुम्हें शीघ्र ही महान वरदान मिलेगा।