त्वां योगिनो यजन्त्यद्धा महापुरुषमीश्वरम् ।
साध्यात्मं साधिभूतं च साधिदैवं च साधव: ॥ ४ ॥
अनुवाद
शुद्ध योगीजन परमात्मा के रूप में आपकी उपासना करते हैं। वे तीनों रूपों में आपका अनुभव करते हैं - जीव, भौतिक तत्व जो जीवों के शरीरों को बनाते हैं, और इन तत्वों के नियंत्रक देवता।