भूस्तोयमग्नि: पवनं खमादि-
र्महानजादिर्मन इन्द्रियाणि ।
सर्वेन्द्रियार्था विबुधाश्च सर्वे
ये हेतवस्ते जगतोऽङ्गभूता: ॥ २ ॥
अनुवाद
पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश और इसका मूल, मिथ्या अहंकार, महत्-तत्त्व, समस्त भौतिक प्रकृति और इसका स्रोत, भगवान् का पुरुष अंश, मन, इंद्रियाँ, इंद्रिय विषय और इंद्रियों के अधिष्ठाता देवता—ये सभी जगत के कारण आपके दिव्य शरीर से उत्पन्न हैं।