श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 38: वृन्दावन में अक्रूर का आगमन  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  10.38.1 
 
 
श्रीशुक उवाच
अक्रूरोऽपि च तां रात्रिं मधुपुर्यां महामति: ।
उषित्वा रथमास्थाय प्रययौ नन्दगोकुलम् ॥ १ ॥
 
अनुवाद
 
  श्री शुकदेव गोस्वामी ने कहा कि महामति अक्रूर ने रात को मथुरा में व्यतीत किया और इसके बाद अपने रथ पर सवार होकर नंद महाराज के ग्वाल-ग्राम के लिए प्रस्थान किया।
 
 
 
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