विषजलाप्ययाद् व्यालराक्षसाद्
वर्षमारुताद् वैद्युतानलात् ।
वृषमयात्मजाद् विश्वतो भया-
दृषभ ते वयं रक्षिता मुहु: ॥ ३ ॥
अनुवाद
हे पुरुषश्रेष्ठ, आपने हम सबों को अनेक संकटों से बचाया है—जैसे कि ज़हरीले जल से, भयंकर मनुष्य-भक्षक अघासुर से, मूसलाधार वर्षा से, भंवर से, इंद्र के अग्नि-तुल्य वज्र से, वृषासुर से और मय दानव के पुत्र से।