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श्लोक 6
श्लोक
10.30.6
कच्चित् कुरबकाशोकनागपुन्नागचम्पका: ।
रामानुजो मानिनीनामितो दर्पहरस्मित: ॥ ६ ॥
अनुवाद
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हे कुरबक वृक्ष, हे अशोक, हे नागकेसर, पुन्नाग और चंपक, क्या इस मार्ग से बलराम का छोटा भाई गया है, जिसकी हंसी सभी अभिमानी स्त्रियों के गर्व को दूर करने वाली है?
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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