तया कथितमाकर्ण्य मानप्राप्तिं च माधवात् ।
अवमानं च दौरात्म्याद् विस्मयं परमं ययु: ॥ ४१ ॥
अनुवाद
उसने उन्हें बताया कि माधव ने उसको कितना सम्मान दिया था लेकिन उसके अपने दुर्व्यवहार के कारण अब उसे अपमान सहना पड़ रहा है। गोपियाँ यह सुनकर अत्यन्त आश्चर्यचकित थीं।