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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 30: गोपियों द्वारा कृष्ण की खोज
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श्लोक 19
श्लोक
10.30.19
कस्याञ्चित् स्वभुजं न्यस्य
चलन्त्याहापरा ननु ।
कृष्णोऽहं पश्यत गतिं
ललितामिति तन्मना: ॥ १९ ॥
अनुवाद
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एक अन्य गोपी, अपना मन कृष्ण में स्थिर कर, अपनी सहेली के कंधे पर हाथ रखकर चलने लगी और बोली, "मैं कृष्ण हूँ। ज़रा देखो तो मैं कितनी शानदार चल रहा हूँ।"
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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