श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 30: गोपियों द्वारा कृष्ण की खोज  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  10.30.1 
 
 
श्रीशुक उवाच
अन्तर्हिते भगवति सहसैव व्रजाङ्गना: ।
अतप्यंस्तमचक्षाणा: करिण्य इव यूथपम् ॥ १ ॥
 
अनुवाद
 
  शुकदेव गोस्वामी ने कहा: जब भगवान कृष्ण अचानक विलुप्त हो गए तो गोपियाँ उन्हें न देख सकने के कारण बहुत दुखी हो गईं, ठीक वैसे ही जैसे हाथियों का झुंड अपने साथी को खोने पर दुखी हो जाता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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