श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 29: रासनृत्य के लिए कृष्ण तथा गोपियों का मिलन  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  10.29.8 
 
 
ता वार्यमाणा: पतिभि: पितृभिर्भ्रातृबन्धुभि: ।
गोविन्दापहृतात्मानो न न्यवर्तन्त मोहिता: ॥ ८ ॥
 
अनुवाद
 
  उनके पति-पिता, भाई और अन्य संबंधियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन कृष्ण पहले ही उनके दिलों को चुरा चुके थे। उनकी बाँसुरी की धुन से वह मोहित हो गई थीं इसलिए पीछे नहीं लौटीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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