ता वार्यमाणा: पतिभि: पितृभिर्भ्रातृबन्धुभि: ।
गोविन्दापहृतात्मानो न न्यवर्तन्त मोहिता: ॥ ८ ॥
अनुवाद
उनके पति-पिता, भाई और अन्य संबंधियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन कृष्ण पहले ही उनके दिलों को चुरा चुके थे। उनकी बाँसुरी की धुन से वह मोहित हो गई थीं इसलिए पीछे नहीं लौटीं।