जब वृन्दावन की युवतियों ने कृष्ण की बाँसुरी की धुन सुनी, जिससे प्रेम की भावनाएँ जाग उठीं, तो उनके मन भगवान श्री कृष्ण में लीन हो गए। वे जहाँ उनका प्रेमी उनका इंतज़ार कर रहा था, वहाँ चली गईं। वे एक-दूसरे को देखे बिना ही इतनी तेज़ी से चल रही थीं कि उनके कानों की बालियाँ झूल रही थीं।