वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
»
अध्याय 28: कृष्ण द्वारा वरुणलोक से नन्द महाराज की रक्षा
»
श्लोक 4
श्लोक
10.28.4
प्राप्तं वीक्ष्य हृषीकेशं लोकपाल: सपर्यया ।
महत्या पूजयित्वाह तद्दर्शनमहोत्सव: ॥ ४ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
यह निहारकर कि प्रभु हृषीकेश पधारे हैं, देवराज वरुण ने विधि-विधान से उनकी पूजा की। वह प्रभु को देखकर अत्यंत प्रसन्न हुए और इस प्रकार बोले।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.