पिता गुरुस्त्वं जगतामधीशोदुरत्यय: काल उपात्तदण्ड: ।
हिताय चेच्छातनुभि: समीहसेमानं विधुन्वन् जगदीशमानिनाम् ॥ ६ ॥
अनुवाद
आप इस पूरे जगत के पिता और गुरु के रूप में विद्यमान हैं, और सर्वोच्च नेता भी हैं। आप काल के अनंत प्रवाह हैं, जो पापियों को उनके लाभ के लिए दंडित करते हैं। निस्संदेह, आपने अपनी इच्छा से विभिन्न अवतार लिए हैं, और उनमें आपने उन लोगों के अहंकार को दूर किया है जो खुद को इस दुनिया के स्वामी मानते हैं।