श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 27: इन्द्रदेव तथा माता सुरभि द्वारा स्तुति  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  10.27.2 
 
 
विविक्त उपसङ्गम्य व्रीडीत: कृतहेलन: ।
पस्पर्श पादयोरेनं किरीटेनार्कवर्चसा ॥ २ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान के अपमान से लज्जित इन्द्र उनसे मिलने एकांत स्थान में पहुँचा और उनके चरणों में गिर पड़ा। सूर्य के समान तेज वाले अपने मुकुट को उसने भगवान के चरणकमलों पर रख दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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