श्रीशुक उवाच
एवंविधानि कर्माणि गोपा: कृष्णस्य वीक्ष्य ते ।
अतद्वीर्यविद: प्रोचु: समभ्येत्य सुविस्मिता: ॥ १ ॥
अनुवाद
शुकदेव गोस्वामी ने कहा: जब गोपों ने गोवर्धन पर्वत उठाने जैसे कृष्ण के कार्यों को देखा तो वे अचंभित हो गए। उनकी अलौकिक शक्ति को न समझ पाने के कारण वे नंद महाराज के पास गए और इस प्रकार बोले।