श्रीमद् भागवतम » स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ » अध्याय 24: गोवर्धन-पूजा » श्लोक 25 |
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| | श्लोक 10.24.25  | |  | | तस्माद् गवां ब्राह्मणानामद्रेश्चारभ्यतां मख: ।
य इन्द्रयागसम्भारास्तैरयं साध्यतां मख: ॥ २५ ॥ | | अनुवाद | | इसलिए गायों, ब्राह्मणों और गोवर्धन पर्वत को समर्पित यज्ञ की शुरुआत हो। इंद्र की पूजा के लिए जितनी भी सामग्री इकट्ठी की गई है, उससे यह यज्ञ करा जाए। | |
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