श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 23: ब्राह्मण-पत्नियों को आशीर्वाद  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  10.23.31 
 
 
श्रीभगवानुवाच
पतयो नाभ्यसूयेरन् पितृभ्रातृसुतादय: ।
लोकाश्च वो मयोपेता देवा अप्यनुमन्वते ॥ ३१ ॥
 
अनुवाद
 
  पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान ने उत्तर दिया: तुम यह आश्वस्त रहो कि तुम्हारे पति ही नहीं तुम्हारे पिता, भाई, पुत्र, अन्य सम्बन्धीजन या आम नागरिक भी तुम्हें प्रति शत्रुता नहीं रखेंगे। मैं स्वयं उन्हें सारी स्थिति समझा दूँगा। यहाँ तक कि देवतागण भी अपनी सहमति व्यक्त करेंगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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