श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 23: ब्राह्मण-पत्नियों को आशीर्वाद  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  10.23.19 
 
 
चतुर्विधं बहुगुणमन्नमादाय भाजनै: ।
अभिसस्रु: प्रियं सर्वा: समुद्रमिव निम्नगा: ॥ १९ ॥
 
अनुवाद
 
  चारों प्रकार के उत्तम स्वाद और महक से भरे हुए बड़े-बड़े बर्तनों में भोजन लेकर सारी स्त्रियाँ अपने प्रियतम से मिलने के लिए उसी तरह आगे बढ़ चलीं जैसे नदियाँ समुद्र की ओर बहती हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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