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अध्याय 23: ब्राह्मण-पत्नियों को आशीर्वाद
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श्लोक 12
श्लोक
10.23.12
न ते यदोमिति प्रोचुर्न नेति च परन्तप ।
गोपा निराशा: प्रत्येत्य तथोचु: कृष्णरामयो: ॥ १२ ॥
अनुवाद
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जब ब्राह्मणों ने हाँ या ना में भी उत्तर देने में असमर्थता जताई तो सभी ग्वाले निराश होकर कृष्ण और राम के पास लौट आए और उन्हें यह बात बताई।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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