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अध्याय 22: कृष्ण द्वारा अविवाहिता गोपियों का चीरहरण
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श्लोक 7
श्लोक
10.22.7
नद्या: कदाचिदागत्य तीरे निक्षिप्य पूर्ववत् ।
वासांसि कृष्णं गायन्त्यो विजह्रु: सलिले मुदा ॥ ७ ॥
अनुवाद
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एक दिन वे नदी के किनारे आ गईं और, पहले की तरह ही अपने वस्त्र उतारकर, कृष्ण की महिमा गाते हुए आनंद से पानी में खेलने लगीं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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