तस्य तत् क्ष्वेलितं दृष्ट्वा गोप्य: प्रेमपरिप्लुता: ।
व्रीडिता: प्रेक्ष्य चान्योन्यं जातहासा न निर्ययु: ॥ १२ ॥
अनुवाद
यह देखकर कि कृष्ण उनसे कैसी-कैसी ठिठोलियाँ कर रहे हैं, गोपियाँ उनके प्रेम में इस कदर डूब गईं कि वे लज्जित तो हो रही थीं पर फिर भी आपस में एक-दूसरे को देखकर हँस रहीं थीं और ठिठोलियाँ कर रही थीं। पर फिर भी वे पानी से बाहर नहीं निकलीं।