श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 21: गोपियों द्वारा कृष्ण के वेणुगीत की सराहना  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  10.21.6 
 
 
इति वेणुरवं राजन् सर्वभूतमनोहरम् ।
श्रुत्वा व्रजस्त्रिय: सर्वा वर्णयन्त्योऽभिरेभिरे ॥ ६ ॥
 
अनुवाद
 
  हे राजन, जब व्रज की युवतियाँ सभी प्राणियों के मन को मोह लेने वाली कृष्ण की बाँसुरी की ध्वनि सुनीं, तो वे एक-दूसरे को गले लगाकर उसका बखान करने लगीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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