श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 21: गोपियों द्वारा कृष्ण के वेणुगीत की सराहना  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  10.21.4 
 
 
तद्वर्णयितुमारब्धा: स्मरन्त्य: कृष्णचेष्टितम् ।
नाशकन् स्मरवेगेन विक्षिप्तमनसो नृप ॥ ४ ॥
 
अनुवाद
 
  गोपियों ने कृष्ण के बारे में बातें शुरू कीं, लेकिन हे राजन, जब उन्हें कृष्ण के कामों का स्मरण आया तो कामदेव ने उनके मन में हड़कंप मचा दिया और इसलिए वे कुछ नहीं बोल पाईं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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